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शनिवार, 2 फ़रवरी 2008

दिल से ईश्‍वर तक ले जाने वाले गीत

हमेशा दर्शन और अध्‍यात्‍म के बारे में चिंतन करने वाले लोग (हो सकता है मेरे जैसे हों लेकिन) इस बारे में बहुत अच्‍छा नहीं सोचते। चलिए मैं आपके साथ सोचने की कोशिश करता हूं। पिछले कुछ दिनों में मैने गानों के बारे में सोचा। जो दिल, प्रेयसी और विरह के प्रेम से पगे थे। इसमें खास क्‍या है। सुनकर आपको सुखद आश्‍चर्य होगा कि जो भी गाने हिट हैं वे सभी ईश्‍वर पर फिट बैठते हैं।
भईया यह कैसे।
बताता हूं
एक गाना सोचो जो आपने सुना और दिल को छू गया।
मन हूंम हूंम करे घबराए घन धम धम करे गरजाए
इक बूंद कहीं पानी की अखियों से बरसाए
इस गाने में पिया से विरह की पीडा कूटकर भरी हुई है लेकिन गरीब प्रियतमा अपने प्रिय से कहती है

तोरी ऊंची डारी मैने पंख लिए कटवाए

इसे पूरी तरह ईश्‍वर के विरह में कलपती आत्‍मा के लिए माना जा सकता है। एक क्षण ऐसा आया कि इस आत्‍मा को उसका साथ कुछ देर के लिए मिल गया और नन्‍ही आत्‍मा उसके प्रेम में उलझ गई अब जब निरंकुश निराकार ईश्‍वर ऊपर बैठा देख रहा है तो आत्‍मा कहती है नैतिक रूप से तुम्‍हारी डारी बहुत ऊंची है और मैने शरीर में फंसकर अपने पर कटवा लिए हैं। न उडा जा सकता है और न रहा जा रहा हे।

बहुत कारुण

एक और गाना लेते है
पंख होते तो उड आती रे रसिया ओ बालमा तुझे दिल के दाग दिखलाती रे...