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बुधवार, 8 जनवरी 2014

Hindi Translation of - Is Kejariwal an American agent?

फोर्ड फाउंडेशन, हिवोस, पेनोस और डच दूतावास - 

क्‍या अरविन्‍द केजरीवाल अमरीकी एजेंट है?

यह मूल लेख  Ford Foundation, Hivos, Panos and Dutch Embassy-  Is Kejariwal an American agent? का हिन्‍दी अनुवाद है। Updated as on 26th November 2013

आप पार्टी की पहली वर्षगांठ पर केजरीवाल से 13 सवाल

1. सम्‍पूर्ण परिवर्तन (NGO) कब पंजीकृत हुआ और इस गैर सरकारी संगठन के रजिस्‍ट्रेशन नम्‍बर और अन्‍य जानकारियां मुहैया कराएं?

2. आपका एनजीओ परिवर्तन से यह सम्‍पूर्ण परिवर्तन कब बना?

3. आप लगातार परिर्तन के लिए यह कहते रहे हैं कि परिवर्तन किसी सोसायटी एक्‍ट अथवा ट्रस्‍ट अथवा कंपनी से संबंधित नहीं है। यह आमजन का आंदोलन है। आयकर विभाग के दृष्‍ि टकोण से यह महज एक आम लोगों का संगठन है। क्‍या यह सच है ? 

4. जून 2002 में आपने विभिन्‍न संचार माध्‍यमों के जरिए यह प्रचार किया था कि परिर्तन को दिए जाने वाले सभी प्रकार को दान धारा 80 के तहत करमुक्‍त हैं, और परिवर्तन इनकम टैक्‍स कानून की धारा 12 ए के तहत पंजीकृत है। क्‍या यह भोले भाले लोगों को गुमराह करने वाली बात नहीं है ? 

5. क्‍या आपने दिल्‍ली में परिवर्तन के तहत हुई जनसुनवाई के लिए विश्‍व बैंक से फंड हासिल किया था? अगर हां तो यह फंड किस प्रकार आप तक पहुंचा, जबकि आपका संगठन कहीं पंजीकृत ही नहीं है। 

6. आपके परिवर्तन के कार्य पर टिप्‍पणी करते हुए विश्‍व बैंक ने एक विशेष रिपोर्ट जारी की थी? क्‍या यह सच है। पूरी रिपोर्ट यहां पढ़ें  

7. क्‍या यह सच है कि विश्‍व बैंक की रिपोर्ट के ठीक बाद ही आपका चयन मैग्‍सेसे पुरस्‍कार के लिए किया गया? 

8. क्‍या यह सच है कि रोमन मैग्‍सेसे फाउंडेशन की ओर से तैयार की गई आपकी जीवनी में प्रथम संदर्भ में आपको सीआईए (सेंट्रल इंटेलीजेंस ऑ‍फ अमरीका) से संबंधित बताया गया था? क्‍या यह महज संयोग था या गलती से संगठन के मुंह से निकला हुआ सत्‍य, जो आपका असली चेहरा दिखाता है? 

9. क्‍या यह सच है कि न्‍यूयार्क विश्‍वविद्यालय की छात्रा शीम्रित ली तुम्‍हारे संगठन कबीर के साथ वर्ष 2009-10 में काम करती थी और उसने तुम्‍हें भारत में रंगभेद आंदोलन जैसा आंदोलन खड़ा करने की सलाह दी थी, जो राजनीतिक बदलाव लेकर आए। क्‍या यह सच है कि वह बाद में मिश्र गई और वहां तहरीर चौक में हुए आंदोलन की साक्षी रही। 

10. क्‍या यह सच है कि तुम सम्‍पूर्ण परिवर्तन एनजीओ के सचिव की हैसियत से दिल्‍ली विद्युत नियामक कमीशन की सलाहकार संस्‍था के सदस्‍य रहे हो। यह कमीशन NOTIFICATION No. F.1(135)/DERC/2000-01/5092 Delhi, the 27th March, 2003 को बनाया गया। इसी आधार पर तो तुम्‍हें दिल्‍ली में विद्युत दरों के गलत तरीके से बढ़ने और गलत मीटर लगाए जाने के लिए दोषी क्‍यों न माना जाए? 

11. क्‍या यह सच है - तुम पारदर्शिता की वकालत करते हो और इसके बावजूद तुमने कबीर और परिवर्तन की वेबसाइट्स बंद कर दी। वह भी तब जब जनता वर्ष 2012 में तुम्‍हें जानने का प्रयास कर रही थी!!

12. क्‍या यह सच है -  अक्‍टूबर 2012 में जब तुम्‍हारे विदेशी संपर्कों यथा फोर्ड फाउंडेशन से संबंधों के बारे में लोगों ने पड़ताल करनी शुरू की तो फोर्ड फाउंडेशन ने भी कबीर और परिवर्तन एजीओ को दिए गए फंड के बारे में पूरी जानकारी हटा ली। ताकि लोगों को पता न चल सके कि तुम्‍हें धन कहां से और कितना मिल रहा है?

13. क्‍या यह सच है कि तुमने विदेशियों से भी धन की मांग की ? डच दूतावास से भी, जबकि भारतीय एनजीओ डच दूतावास से फंड लेना वर्ष 2002 में ही बंद कर चुके हैं, क्‍यों‍कि उस धन को भारत विरोधी गतिविधियों में इस्‍तेमाल किया जाता रहा है। 


मूल ब्‍लॉग लेखक की टिप्‍पणी (Original Piece That appeared on 21st October,2012 raising serious question about Kabir and Kejariwal. Immediately after the blog post was being tweeted, Mr. Transparency Chameleon Kejariwal's site of Kabir was off and all details from Ford Foundation website about Kabir has been hidden , exposing the complicity of Kejariwal and Ford and by extension Kejariwal and the US game-makers.) 

सोमवार, 30 दिसंबर 2013

Kejriwal phenomenon @ a betel shop

पान की दुकान पर केजरीवाल का असर

बुद्धिजीवियों की एक जमात का मानना है कि केजरीवाल का उदय एक प्रकार का प्रतिक्रियावाद या अराजकतावाद है। मौजूद व्‍यवस्‍था से आहत लोग इस व्‍यवस्‍था को चुनौती देने वालों के पक्ष में आ खड़े हुए हैं। लेकिन जमीन देखने के लिए हमारे बीकानेर में पान की दुकान से बेहतर स्‍थान और कोई हो नहीं सकता। सभी बौद्धिक, परा बौद्धिक, अधि भौतिक और अबौद्धिक तक की चर्चाएं इन्‍हीं पान (betel) की दुकानों पर होती हैं। 

इन्‍हीं पान की दुकानों में से एक पर बीती शाम मैं भी उलझ गया। मैं खुद को बद्धि जीवी मानकर वहां उतरा था, लेकिन चर्चा के अंत में लोगों ने स्‍पष्‍ट कर दिया कि न तो मेरे अंदर इतनी बुद्धि है कि केजरीवाल को समझ सकूं न इतना सामर्थ्‍य। मेरे अपने तर्क थे और उन लोगों के अपने। चर्चा कुछ इस प्रकार हुई। 

मैंने कहा - केजरीवाल आम आदमी (Aam Aadmi) का स्‍वांग भरकर मीडिया के जरिए लोगों के सेंटिमेंट भुनाने का प्रयास कर रहा है। इसके लिए मैंने उदाहरण दिया कि इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया में गैले गूंगे चैनल को भी प्रति एक सैकण्‍ड का पांच से दस हजार रुपए वसूलना होता है। ऐसे में पूरे पूरे दिन केजरीवाल के गीत गाने वाले न्‍यूज चैनल्‍स का खर्चा का मुफ्त में चलता होगा। या कोई दैवीय सहायता प्राप्‍त होती है। 

जवाब मिला : मीडिया को भी टीआरपी (TRP) चाहिए। आज हर कोई केजरीवाल को देखना चाहता है। ऐसे में मीडिया की मजबूरी है कि वह केजरीवाल और उसके आंदोलन को दिखाए। अगर चैनलों को खुद को दिखाना है तो केजरीवाल को दिखाना ही पड़ेगा। वरना उस चैनल की टीआरपी धड़ाम से नीचे आ गिरेगी। 

मैंने कहा : केजरीवाल ने आम आदमी के नाम पर जितने आंदोलन किए हैं सभी विफल रहे हैं। केवल जबानी लप्‍पा लप्‍पी (verbal jiggaling) की मुद्रा ही रही है। 

जवाब मिला: अब तक किसने आम आदमी की आवाज उठाई है। भाजपा (BJP) और कांग्रेस (CONGRESS) तो एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं। बाकी दल भी अपनी ही रोटियां सेंकने का काम कर रहे हैं। पहली बार कोई आदमी ऐसा आया है, जिसने आम आदमी की बात की है और उसकी ओर से लड़ाई लड़ी है। उसके प्रयास ही काफी हैं। सफलता और विफलता तो ऊपर वाले की देन है। 

मैंने कहा : केजरीवाल कांग्रेस से मिला हुआ है। यह उनकी बी टीम (B Team) है। 

जवाब मिला : कांग्रेस और बीजेपी वाले अपनी रांडी रोणा करते रहेंगे। एक कहेगा दूसरे की बी टीम है और दूसरा कहेगा पहले की बी टीम है। आज केजरीवाल दोनों के भूस भर रहा है। जनता इन भ्रष्‍ट (Currupt) नेताओं की ऐसी तैसी कर देगा। 

मैंने कहा : एक साल पहले आए इस नए नेता के पास न तो देश के लिए वीजन (Vision) है न ही इसका कोई पॉलिटिकल बैकग्राउंड (Political background) है। ऐसे में हम कैसे कह सकते हैं कि यह आम आदमी को राहत दिलाने का काम करेगा। 

जवाब मिला: जो पहले से अनुभवी लोग हैं उन्‍होंने कौनसे काम करवा दिए। सब अपना घर भरने में लगे हैं। यह बदलाव की बयार लेकर आया है तो जरूर काम करेगा। कम से कम एक नए आदमी को मौका तो दे रहे हैं। 

मैंने कहा : केजरीवाल बहुत अधिक अकल लगाकर काम कर रहा है। केवल दिल्‍ली (Delhi) में आंदोलन करता है और पूरे देश पर छा जाता है। केवल मैट्रो सिटी (Metro city) के लोगों की भावनाएं ही भुना रहा है। देश के अन्‍य हिस्‍सों में इसका कोई खास असर नहीं है। 

अब लोग तैश में आ गए, बोले: भो##** के गांव गांव तक जाकर केजरीवाल का नाम सुन ले। (एक ने खाजूवाला जो कि सीमा से सटा हुआ कस्‍बा है, दूसरे ने श्रीकोलायत, तीसरे ने लूणकरनसर में चल रही हवा के बारे में जानकारी दी।)

जब मेरे तर्क और क्षमता जवाब दे गए तो पान की दुकान पर मेरी जमकर मलामत की गई। मुझे नेताओं का पिठ्ठू करार दिया गया और बताया गया कि मैं जमीनी हकीकत (Ground realities) से कोसों दूर हूं। अब देश में तेजी से बदलाव आ रहा है और इस बदलाव के रथ को केजरीवाल चला रहा है। जल्‍द ही लोकसभा और ग्राम सरपंच तक के चुनावों में आम आदमी पार्टी ही राज करेगी। हर घर में आज टीवी चैनल है और सब देख रहे हैं कि देश में क्‍या हो रहा है।

मैंने रूंआसा होकर पूछा मोदी (Modi) ? 

जवाब आया: मोदी ने किया होगा गुजरात में काम, लेकिन आज देश को अगर जरूरत है तो केजरीवाल की है। वही देश की लय को सुधार सकता है। वही है आने वाले जमाने की ताजी बयार। वहीं से परिवर्तन की शुरूआत होगी। भाजपा और कांग्रेस तो एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं। 

अब मैं सोच रहा हूं कि अगर पान की दुकान से लेकर गांवों (Gaanv) तक अगर केजरीवाल फैल चुका है तो क्‍या मोदी केवल अपनी सोशल मीडिया फौज पर ही राज कर रहा है। सोशल मीडिया पर भी देख रहा हूं कि बुद्धिजीवियों का एक बड़ा तबका केजरीवाल को हृदय से स्‍वीकार कर चुका है और जिस प्रकार अमिताभ बच्‍चन की छोटी मोटी भूलों को भी पर्दे पर उनकी स्‍टाइल में शामिल कर देखा जाता रहा है, उसी प्रकार केजरीवाल के प्रयासों में रही कमियों को इसी प्रकार नजरअंदाज करने का दौर चल रहा है। 

आपको क्‍या लगता है ?